मन का विश्वास

मन का विश्वास March 11, 2020Leave a comment

आज मैं आपको अपने व्यवसाय के सफर में से एक कहानी सुनाने जा रहा हूं जो कहानी के रूप में जरूर है लेकिन है सच्ची दास्तान, दोस्तों हमने अक्सर सुना है जो हम चाहते हैं वह हम बन जाते हैं, या जो हम चाहते हैं वह हमें मिल जाता है और प्रकृति हमारे साथ जुट जाती है उस चीज को हम तक पहुंचाने के लिए और जब जब यह बात कही जाती है तब तब कुछ लोग इस बात पर अविश्वास करने के बहुत सारी वजह भी बताते हैं लेकिन मेरे पास इस बात को मानने के सैकड़ों कारण है और यह कहानी भी उन सैकड़ों कारण में से एक कारण है।
मैंने अक्सर यह महसूस किया है कि मैंने अपने जीवन में जिस काम को हाथ में लिया उस काम को पूरा करने के बाद ही मुझे चैन मिला ऐसा नहीं है कि उस काम को पूरा करने में संघर्ष नहीं करना पड़ा हो या तकलीफ़ नहीं आई हो लेकिन मन के विश्वास से वह काम हो ही जाता है तो चलिए मैं आपको सुनाता हूं इस मन के विश्वास के चमत्कारिक परिणाम के बारे में ।
मैं और मेरा भांजा अनिरुद्ध, हम दोनों एक अंतरराष्ट्रीय ग्रेन कांफ्रेंस में भाग लेने एडिसअबाबा इथियोपिया गए। इस कॉन्फ़्रेंस में अफ्रीकी यूनियन के 54 देश भाग ले रहे थे।
इस कॉन्फ़्रेंस का उदघाटन वहाँ के प्रधानमंत्री ने किया।
इस कॉन्फ़्रेंस में यूरोपियन भी थे और हिंदुस्तान से इस कॉन्फ़्रेंस में भाग लेने वाले केवल मैं और अनिरुद्ध ही थे।
जब उस कांफ्रेंस में भाग लेने हम ऑडिटोरियम में पहुंचे तो हमने देखा बहुत ही सुंदर ऑडिटोरियम था और बहुत बड़ा स्टेज जिस पर यूरोपियन यूनियन के देशों के झंडे लगे हुए थे और एक बड़ी एल सीडी पर कॉन्फ़्रेंस का सीधा प्रसारण हो रहा था देखने में बहुत ही सुंदर और असाधारण सा माहौल था।
दिन भर अलग-अलग देशों के वक्ताओं ने आकर ग्रेन और मिलिंग के बारे में अपने-अपने पेपर प्रस्तुत किए और जब शाम को उस दिन का समापन हुआ और सभी लोग ऑडिटोरियम से बाहर आ गए तब मेरा मन स्टेज पर जाकर फोटो खिंचवाने का हुआ मैंने अनिरुद्ध से कहा “मेरे कुछ फोटो लो जिससे हम सोशल मीडिया पर अपलोड कर कुछ न्यूज़ बना सकें ” और यह कहकर मैं स्टेज पर चला गया जैसे ही मैं पोडियम पर खड़ा हुआ और अनिरुद्ध ने फोटो लेना शुरू किया तभी मेरे मन में ख्याल आया कि यह फोटो देखकर कोई यह ना सोचे कि मैं यहां से एक वक्ता के रूप में बोल रहा हूं क्योंकि मै पोडियम पर खड़ा हो कर, माइक को पकड़कर फ़ोटो खींचा रहा था। जैसे ही मेरे मन में यह विचार आया मैं थोड़ा अजीब सा महसूस करने लगा और मन में यह विचार आया कि मुझे यहां से बोलते हुए फोटो खींचवाना है पर क्या यह संभव है कि मैं यहां से एक वक्ता के रूप में बोलते हुए अपनी फोटो खिंचवा सकूँ ? तभी मेरे मन ने कहा यह हो सकता है क्योंकि जो हम चाहते हैं वह हो जाता है “लॉ ऑफ अट्रैक्शन” अब यह इस थियोरी और मेरे विश्वास की परीक्षा का समय था। जैसे ही वहां से उतरकर मैंने अनिरुद्ध को अपने मन के विचार बताएं उसने मुझे कहा मामा जी यह कैसे पॉसिबल है यह एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस है यहां अपने प्रेजेंटेशन और पेपर को महीनों पहले पास कराना होता है जब वह उस पेपर को इस कांफ्रेंस के योग्य समझते हैं तो ही आपको आगे की कार्यवाही के लिए आमंत्रित किया जाता है जिसमें कई तरह के लीगल स्टेप भी होते हैं तब जाकर हम किसी अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में वक्ता के रूप में मैं बोल सकते हैं।
तब मैंने उससे कहा हां तुम सही कह रहे हो लेकिन पता नहीं क्यों मेरा मन कह रहा है कि हमें कोशिश तो करनी चाहिए यह कहकर में ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के सेक्रेटरी से मिला और मैंने उनसे कहा कि आप की कॉन्फ्रेंस के वक्ताओं ओर विषय की लिस्ट है उसको देखने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि इसमें ऑर्गेनिक फ्लौर मिलिंग को लेकर कोई प्रेजेंटेशन नहीं है क्योंकि अफ्रीका और हिंदुस्तान की सांस्कृतिक भूमि कुछ-कुछ मिलती-जुलती है तो यहां भी स्टोन ग्राउंड पिसाई का आटा खाया जाता है परंतु इस पूरी कॉन्फ्रेंस में नई टेक्नोलॉजी की बात करने के लिए केवल यूरोपियन इक्विपमेंट्स ही है जबकि यहां की सार्थकता ऑर्गेनिक फ्लौर मिलिंग से ही होगी।
तब उन्होंने कहा कि आप क्या चाहते हैं मैंने कहा कि मैं ऑर्गेनिक आटा मिलिंग पर अपना प्रेजेंटेशन देना चाहता हूं
उन्होंने कहा कि इसकी संभावना कितनी है यह मैं हमारी कमेटी से बात करके बता सकता हूं लेकिन आप का सब्जेक्ट निसंदेह इस कांफ्रेंस के उद्देश्य को पूरा करेगा उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि क्या आप मुझे आज रात आपका प्रेजेंटेशन पूरा करके दे सकते हैं?
मैंने उन्हें कहा कि मैं आज रात को ही आपको इसका प्रेजेंटेशन पूरा कर कर दूँगा यह सुनकर मैंने मुस्कुराकर अनिरुद्ध की तरफ देखा और कहा कि चलो शुरुआत तो अच्छी हो गई।अनिरुद्ध ने कहा कि उन्होंने अभी हां नहीं की है मैंने कहा इन्होंने अभी मना भी नहीं किया है
मैं मानता हूं कि जहां 1% भी संभावना हो वहां पर अपने विश्वास को 99 परसेंट दृढ़ता से लगा देना चाहिए।
हमने होटल आकर उस प्रेजेंटेशन पर काम करना शुरू किया और तकरीबन रात को 3:00 बजे के आसपास उस पर प्रेजेंटेशन को कंप्लीट कर उन्हें ईमेल कर दिया। सुबह जब में उठा तो मैंने देखा 6:00 बजे उन्होंने ईमेल को पढ़ लिया और मुझे उस प्रेजेंटेशन के लिए थैंक्स भी कहा, यह दूसरा कदम था जिसे मैं यह मान रहा था कि शायद मेरा काम हो जाएगा।
हम ऑडिटोरियम पहुंचे दूसरे दिन का कार्यक्रम शुरू हुआ मैंने सेक्रेटरी से बात की उन्होंने कहा मैने कमेटी में आपका पेपर रख दिया है सभी ने उसे अच्छा बताया है और यह कहा है कि हम कोशिश करेंगे कि आपका यह पेपर हम सबके सामने रख पाए।
जब पूरे दिन भर एक के बाद एक वक्ता आते गए और अपना प्रेजेंटेशन देकर जब समाप्त करते तो मैं सोचता शायद इसके बाद मेरा नंबर आएगा लेकिन दिन भर इंतजार करने के बाद शाम तक मेरा नंबर नहीं आया।
मैं और अनिरुद्ध जब ऑडिटोरियम से बाहर आने लगे तब हमें सेक्रेटरी महोदय मिले और हमसे बोले कि आज तो हमें समय नहीं मिल पाया लेकिन अभी कल का दिन भी है हो सकता है कल किसी वक्ता के कम बोलने से समय बन जाए।
अगले दिन जब हम ऑडिटोरियम पहुंचे, यह कॉन्फ्रेंस का तीसरा और आखिरी दिन था और एक के बाद एक वक्ता आने लगे और हर वक्ता के बाद मुझे ऐसा लगता कि शायद अब मेरा नंबर होगा शाम के 4:00 ने वाले थे मेरा उत्साह थोड़ा धीमा होने लग गया था तभी अनिरुद्ध ने मुझे कोहनी मारकर सामने देखने के लिए कहा, जैसे ही मैंने सामने उस बड़ी एलसीडी पर देखा वहां पर चोयल वंडरमिल का फोटो था और उद्घोषक ने जैसे ही यह कहा कि अब अगला पेपर इंडिया से मिस्टर आर एस चोयल, ऑर्गेनिक फ्लौर मिलिंग पर देने जा रहे हैं। दोस्तों यह वह समय था जब मुझे टॉप ऑफ दि वर्ल्ड फील हुआ मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे मेरी मन मांगी मुराद पूरी हो गई इतना एक्साइटमेंट था उस बड़ी स्क्रीन पर वंडरमिल का नाम देखना ।
जैसे ही मैं स्टेज पर पहुंचा मैंने सभी को नमस्कार किया और ऑर्गेनिक मिलिंग पर नई टेक्नोलॉजी के आविष्कार वंडर मील के बारे में बताने लगा जैसे-जैसे मैं बोलते जा रहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि हर कोई मुझे ध्यान से सुन रहा है क्योंकि मैंने अपने मिलिंग के अनुभवों को वहां पर इस तरह से रखा जिससे उन सभी अफ्रीकी देशों में स्किल डवलपमेंट, रोज़गार डवलपमेंट, और पावर सेविंग जैसे विषयों पर हम मिलकर कैसे काम कर सकते हैं जब मैं अपना पेपर प्रजेंट करके नीचे उतरा वहां पर उपस्थित श्रोताओं में से काफी लोगों ने मेरा विजिटिंग कार्ड लिया और मुझे अपने देश आने के लिए आमंत्रित किया। उस कॉन्फ़्रेंस में सभी देशों के लीडर ब्यूरोक्रेट्स पॉलिसी मेकर आदि थे जहां एक और उन सब से प्रशंसा प्राप्त करने का हर्ष था वही मुझे इस बात की बेहद खुशी थी कि आज लॉ ऑफ अट्रैक्शन और पॉजिटिविटी ने मन के विश्वास ने मुझे वह परिणाम दिया जिसकी शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि यह संभव नहीं है। यहां यह कहना चाहता हूं मैं की अगर हम पूरे मन और पूरे विश्वास के साथ किसी भी लक्ष्य के लिए अपने आप को समर्पित कर देते हैं तो वह लक्ष्य हमें ज़रुर मिलता है। मैं इस कार्यक्रम के कुछ फोटो आपके साथ साझा कर रहा हूं मेरे लिए यह मेरी जीवन की उपलब्धियों में से एक है।
मैं फिर ऐसी ही एक नई कहानी लेकर आपके साथ आऊंगा जय हिंद।

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