आटा दाल चावल मसाला, तेल मिलों और फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट को अत्याधिक डिजिटल टेक्निक से युक्त करना चाहिए जिसमें इंसानी हाथों का फाइनल प्रोडक्ट के साथ या पूरे प्रोसेस में इंसानी हाथों का प्रोडक्ट के साथ को रोका जा सके ऐसा नहीं है कि इससे रोजगार कम होगा बल्कि इससे रोजगार बढ़ेगा क्योंकि कम लागत में यह तकनीक ज्यादा उत्पाद करने में सक्षम होगी और खाद्य समान की सुरक्षा को लेकर उपभोक्ता निश्चिंत हो सकेंगे साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के फार्मूले को उचित रूप से लगाया भी जा सकेगा क्योंकि जब निर्माण की मशीनें डिजिटल होंगी तो वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का यूज कर सिस्टम अपने आपको स्वयं संचालित कर सकेंगे, जिससे क्वालिटी और उत्पादन को चरम पर ले जाया जा सकेगा। यहां पर यह भी देखने योग्य है कि जब मशीनें एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर स्वयं चलेंगी या डीप लर्निंग या वर्चुअल रियलिटी के साथ अपने आप को उन्नत बनाती जाएंगी जिससे क्वालिटी को उच्चतम स्तर तक ले जाया जा सकेगा और साथ ही उत्पादन भी बढ़ाया जा सकेगा, जिससे कम लागत पर अधिक उत्पादन कर हम देश के जीडीपी को भी बढ़ा सकते हैं साथ ही उत्पादन दर को भी बढ़ा सकते हैं
आज इंटरनेट ऑफ थिंग्स को हर क्षेत्र में काम लिया जा रहा है विश्व के उन्नत देशों में फूड फैक्ट्री में यह सारी टेक्नालॉजी काम में आ रही है आज भारत में भी इसकी आवश्यकता है साथ ही इस पर काम किए जाने की आवश्यकता है की खाद्य उत्पादों की विधि को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी, ऑग्मेंटेड रियलटी, डेटा एनालिसिस और वौइस् रोकोग्निशन आदि टेक्नोलॉजी से उन्नत बनाया जाए।
मैं स्वयं एक इन्नोवेटर हूं और फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी मेरा कार्य क्षेत्र है इस क्षेत्र में मैंने उपरोक्त टेक्नोलॉजी को काम में लेते हुए एक सिस्टम बनाने पर कार्य किया है जिसमें हम सफल भी हुए है और जल्दी ही हम उस टेक्नोलॉजी को बाजार में उतार देंगे इस टेक्नोलॉजी में हमने एक ऐसी डिवाइस का निर्माण किया है जिसे हम “प्रो मिलर” कहते है, यह डिवाइस ठीक वैसे ही आपके वॉइस कमांड के अनुरूप काम करता है जैसा कि आप “एलेक्सा या सीरी” से करते हैं, यहां पर यह डिवाइस “प्रो मिलर” आपके कहने मात्र से आटा, दाल, चावल, तेल, मिल आदि को ऑपरेट और मैनेज करेगा। आपके बोलने मात्र से ही सभी डाटा, आंकड़ों और MIS को आपके कहे अनुसार ई-मेल या प्रिंट करके दे देगा। वह मिल में आने वाले रॉ मटेरियल से लेकर तैयार माल तक जो भी एक्टिविटी मिल्स में होती है को ना केवल सुपरवाइज बल्कि कंट्रोल भी करेगा।
टेबल पर रखा हुआ एक प्रो मिलर आपकी सभी मिलिंग आवश्यकताओं को आपके मिलर और श्रमिकों के साथ मिलकर पूरा करेगा। यह टेक्नोलॉजी खाद्य पदार्थों को मानव हाथों से अछूता बनाएगी साथ ही न्यूनतम मूल्य पर अधिकतम उत्पादन कर श्रमिकों के दवाब को भी कम करेगी। महामारी के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा SOP की अनुपालना और नियंत्रण भी आसान हो जाएगा।
जब कोरोना के आज के वातावरण को हम देखते हैं तो यह हम कह सकते हैं कि लगभग 6 से 18 महीनों तक तो हमें बहुत अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी, तो यहां पर यह सोचना जरूरी हो जाता है कि हमें एयरपोर्ट रेलवे स्टेशन हॉस्पिटल स्कूल यूनिवर्सिटी कॉर्पोरेट हाउस आदि ऐसी जगह पर जहां पर खाने को खरीदने के लिए बहुत से लोग लाइन में लगते हैं या खाने की दुकान या रेस्टोरेंट पर एक दूसरे के समीप आते हैं इसलिए हमें इस तरह के ऑटोमेटिक डिजिटली ऑपरेटेड self-serving रेस्टोरेंट का निर्माण करना जरूरी होगा जिसमें आर्डर से लेकर पेमेंट करने और खाना बनाने से लेकर सर्विस करना तक का सारा काम “टच लेस” हो जैसा कि मैंने आपको कहा कि मेरा कर्म क्षेत्र फूड प्रोसेसिंग है तो यहां भी यह इनोवेशन हमारी कंपनी कर रही है जिसमें हम एक ऐसी वेंडिंग मशीन बना रहे हैं जिसमें उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुरूप भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के स्वाद के साथ यूरोप के कुछ स्वाद जिसमें मसालेदार और मीठे या गर्म और ठंडे खाद्य पदार्थों का समावेश हो। जिसमें 100 से अधिक खाद्य पदार्थ हाथों हाथ बनकर गरमा गरम या जैसा आपने आर्डर किया है उसके अनुरूप बिना किसी के हाथ लगाए उपभोक्ता को मिल जाए।
इस नवाचार को हमने विशेष रुप से एयरपोर्ट, हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटीज के लिए तैयार किया है जिसमें ग्राहक को आर्डर करने के लिए या तो एप डाउनलोड करनी होगी या मशीन पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन कर ऑर्डर करना होगा, डिजिटल पेमेंट के बाद मात्र कुछ मिनट में उपभोक्ता को उसका आर्डर एक सर्विंग ट्रे में मिल जाएगा। ऑर्डर किए गए माल को उठाने के बाद डिलीवरी ट्रे ऑटोमैटिक सैनिटाइज्ड हो जाएगी और दूसरे आर्डर के लिए मशीन तैयार हो जाएगी। सोशल मीडिया से यह वेंडिंग मशीन अपने कस्टमर को भी पहचान लेगी जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग या लोकेशन को या ट्रैवल या लोकेशन हिस्ट्री को मेंटेन किया जा सकेगा।
फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भारत में प्रॉसेस एजुकेशन का या एजुकेशनल इंस्टिट्यूट का बहुत अभाव है हालांकि सरकार के स्तर पर स्किल डेवलपमेंट पर खूब काम किया जा रहा है परंतु यह आवश्यकता के अनुरूप नहीं है इसलिए जो बड़े खाद्य पदार्थों के निर्माता हैं उन्हें अपने यहां इंटर्नशिप के लिए या स्किल डेवलपमेंट के लिए इंस्टिट्यूट खोलने चाहिए जितने ज्यादा हमारे वर्कर्स फूड सेफ्टी को समझेंगे उतना ही हम इस तरह के वायरस को लड़ने में सक्षम होंगे आज हिंदुस्तान में FASSI के जो नियम है उनका निर्वहन अधिकतम फैक्ट्रियां नहीं कर पाती है इसके कई कारण है पर इसमें सबसे बड़ा कारण ज्ञान का अभाव है तो उन छोटी फैक्ट्रियों के कामगारों को खाद्य पदार्थों से संबंधित नियमों को पढ़ाने के लिए और खाद्य पदार्थों के उत्पादन की सर्वोत्तम विधि को सिखाने के लिए इस तरह के इंस्टीट्यूट का होना जरूरी है।
यहां मैं बताना जरूरी समझता हूं कि इसके लिए हमने एक टेक्निकल इंस्टीट्यूट भी खोला है जिसमें हम विद्यार्थियों को मिलिंग टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ाते हैं और उन्हें सिखाते हैं कि किस तरह से खेत से लेकर उपभोक्ता की प्लेट तक पहुंचने का सफर कितना वैज्ञानिक होने के साथ ही कलात्मक है। इस ज्ञान को लेकर जब कोई भी छात्र किसी फैक्ट्री में काम करता है तो निश्चय ही वह “सेफ फूड” को बनाने वाला होगा।
आज के इस लेख में मैंने फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में होने वाले कुछ इनोवेशंस का उल्लेख किया है या भविष्य में किस तरह की तकनीकी पर हमें काम करना होगा पर मैंने अपने विचार रखे हैं हालांकि इस क्षेत्र में बहुत सारे नवाचारों की आवश्यकता है। अपने अगले लेख में, मैं एक नए क्षेत्र पर किस तरह के नवाचार किए जाने चाहिए को लेकर उपस्थित होऊंगा। इस सीरीज के द्वारा मैं भारत के उद्योगपतियों, छात्रों और रिसर्च स्कॉलर्स से यह निवेदन करूंगा कि अपने अपने कार्य क्षेत्रों में भविष्य की टेक्नोलॉजी को जन्म देने के लिए अपनी कल्पनाशीलता को उस बिंदु तक ले जाएं जहां पर हम विश्व की सर्वश्रेष्ठ उत्पादन तकनीकों का निमार्ण भारत में कर सकें। मेरी इस लेख के माध्यम से यह भी आग्रह है कि हम हिंदुस्तानी विश्व के हर कोने में हैं विश्व की हर बड़ी कंपनी के बड़े से बड़े पदों पर हैं तो क्यों ना हम सब मिलकर भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए भारत में ही उच्चतम तकनीक को जन्म देकर उत्पादन को उच्चतम स्तर तक ले जाएं।
तो जल्दी मिलेंगे एक नई सीरीज के साथ
जय हिंद

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